14 बार सांसद विधायक रहा, अब चुनाव नहीं लड़ूंगा...बारामती में शरद पवार ने खेला इमोशनल कार्ड

बारामती : मराठा राजनीति के चाणक्य शरद पवार ने बारामती में ऐसा इमोशनल कार्ड खेल दिया है, जो विधानसभा चुनाव में एनसीपी (एसपी) के लिए 'ब्रह्मास्त्र' साबित हो सकता है। 83 साल के बुजुर्ग नेता ने बारामती में चुनाव प्रचार करते हुए भविष्य में चुनाव नहीं

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बारामती : मराठा राजनीति के चाणक्य शरद पवार ने बारामती में ऐसा इमोशनल कार्ड खेल दिया है, जो विधानसभा चुनाव में एनसीपी (एसपी) के लिए 'ब्रह्मास्त्र' साबित हो सकता है। 83 साल के बुजुर्ग नेता ने बारामती में चुनाव प्रचार करते हुए भविष्य में चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान कर दिया। पवार ने कहा कि मैं अभी सत्ता में नहीं हूं। राज्यसभा में मेरा कार्यकाल डेढ़ साल बचा है। इसके बाद मैं भविष्य में कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा। कहीं न कहीं रुकना पड़ेगा। इसके बाद उन्होंने जनसभा में मौजूद जनता को 14 बार चुनाव जिताने के लिए धन्यवाद दिया। उनके इस भावुक भाषण से बारामती का खेल पलट सकता है, जहां से उनके भतीजे अजित पवार छठी बार मैदान में हैं। अजित पवार का मुकाबला भी भतीजे युगेंद्र पवार से है।


छह दशक से बारामती पर कब्जा

83 साल के शरद पवार ने छह दशक की राजनीति के बाद चुनावी राजनीति से संन्यास लेने के संकेत दिए हैं। 1967 में कांग्रेस से अपना राजनीतिक सफर करने वाले पवार चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और कई दशक तक केंद्रीय मंत्री रहे। एक दौर में वह प्रधानमंत्री पद के दावेदारों में शुमार भी थे। 1999 में उन्होंने एनसीपी पार्टी बनाई । पवार ने पहली बार बारामती सीट से चुनावी जीत हासिल की थी। इसके बाद से यह सीट पवार फैमिली के पास ही रही । 2023 में भतीजे अजीत पवार के बगावत के बाद उन्होंने तीसरी बार नई पार्टी एनसीपी (शरदचंद्र पवार) का गठन किया और 2024 के लोकसभा चुनाव में 8 सीटें जीतकर अपना लोहा मनवाया। बारामती में उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने बड़ी जीत हासिल की थी।

युगेंद्र के बहाने दिया संदेश

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शरद पवार ने महा विकास अघाड़ी के मार्गदर्शक बने। अब उनकी चुनौती अपने किले बारामती को बचाने की है। इस चुनाव में उन्होंने भतीजे अजित पवार के खिलाफ पोते युगेंद्र पवार को मैदान में उतारा है। 20 नवंबर को होने वाली वोटिंग एक तरह से शरद पवार और अजित पवार के बीच जनमत संग्रह जैसा है, जहां दोनों की साख दांव पर लगी है। अगर अजित की पार्टी पूरे महाराष्ट्र में हारकर भी बारामती जीत जाती है तो शरद पवार का 60 साल पुराना वर्चस्व उनके अंतिम राजनीतिक पारी में खत्म हो जाएगा। अगर युगेंद्र जीतते हैं तो अजित पवार के पास शरद पवार के साथ लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। प्रतिष्ठा की इस लड़ाई में शरद पवार ने संन्यास वाला इमोशनल दांव चल दिया है।


पहले कहा था, नो टायर्ड, नॉट रिटायर्ड

बारामती के भाषण में शरद पवार ने कहा कि अब उनके लिए युवा और ऊर्जावान नेतृत्व तैयार करने का वक्त आ गया है, जो अगले 30 साल तक पार्टी को संभाल सके। उन्होंने कहा कि मैं वोट नहीं मांग रहा हूं, क्योंकि उनके परिवार को लोगों को समर्थन मिलता रहा है। बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले जब अजित पवार ने कहा था कि 80 साल बुजुर्ग नेता को रिटायर हो जाना चाहिए तो सीनियर पवार ने जवाब दिया था कि 'नो टायर्ड, नॉट रिटायर्ड'। उन्होंने चुनौती के लहजे में कहा था कि वे कौन होते हैं मुझे रिटायर होने के लिए कहने वाले? मैं अभी भी काम कर सकता हूं। अब चुनाव में उन्होंने रिटायरमेंट वाला दांव चल दिया। 23 नवंबर को पता चलेगा कि यह दांव अजित पवार पर भारी पड़ा या नहीं।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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